दक्षिणपंथी कट्टरता पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत

नया का पहला र • मुहम्मद यूसुफ ‘मुन्ना' न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों पर हुए हमले की घटना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया इस नरसंहार के बाद हालात को संभालने के लिए प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता दिखायी और कहा कि यह वह न्यूजीलैंड नहीं है, जिसे आप जानते हैं । न्यूजीलैंड सरकार ने पीड़ितों के प्रति हमदर्दी का इज़हार करते हुए संसद के पहले सत्र की शुरुआत कुरआन की तिलावत से करवायी। वहीं संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने पीड़ितों के परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त की और हमलावर से निबटने की कोशिश करते हुए शहीद हुए पाकिस्तानी नागरिक नईम राशिद की भी सराहना की । उन्होंने इस हमले को न्यूजीलैंड के इतिहास का काला दिन' बताते हुए दुख का इज़हार किया । आस्ट्रेलियाई मूल के 28 साल के हमलावर ब्रेटन टैरेंट को पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद हथकड़ीलगाकर अदालत में पेश किया । इसके अलावा उसके दो सहयोगियों को भी हिरासत में लिया गया । पुलिस का कहना था कि ब्रेटन टैरेंट की गाड़ी की तलाशी में और भी हथियार मिले, इससे लगता है कि उसका इरादा और भी मस्जिदों पर हमला करने का था पुलिस का कहना है कि हमले में मुख्य अपराधी ने 5 बंदूकों का इस्तेमाल किया । हमलावर पूर्व फिटनेस प्रशिक्षक रहा है और खुद को फॉसीवादी बताता है । ब्रेटन टैरेंट को अपनी गलती कोई पक्षतावा नहीं । अदालत में पेशी के दौरान वह मुस्कुराता रहा और उसने अपनी जुमानत के लिए कोई अर्जी भीनहीं दी ।न्यूजीलैंड सरकार का कहना है कि मस्जिद पर हमले के सिलसिले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनके बारे में सरकार के पास पहले से किसी तरह की कोई खुफिया जानकारी नहीं थी और न ही वे एजेंसियों के रडार पर थे, इसीलिए वे हमला करने मेकामयाब हो गये । हमलावर ने नवम्बर 2017 में बंदूक के लिए लाइसेंस हासिल किया इसके बाद उसने हमले के लिए हथियार खरीदे थे । मालूम रहे कि क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों अल-नूर और लिनवुट पर हुए हमले में 50 नमाजी शहीद कर दिये गये । न्यूजीलैंड में भारतचूंकि इस हमले में अनेक देशों के नागरिक मारे गये, इसलिए न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न का कहना है कि हमले के वैश्विक स्तर पर पड़े प्रभाव को देखते हुए उनकी सरकार पाकिस्तान, तुर्की, सऊदी अरब, बंगलादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि के दूतावास के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है । हमले के समय लाटे की क्रिकेट टीम यजीलैंड में ही थी और उसके खिलाड़ी मस्जिद की ओर नमाज के लिए जा रहे थे । अभी वे मस्जिद तक पहुंचे भी नहीं थे कि हमले की खबर आ गयी, इससे वे हमले की जद में आते-आते बच गये (पृष्ठ 1 का शेष) इस घटना के बाद जुमे की नमाज़ के दौरान हमले का शिकार बनी लिनवुड मस्जिद के इमाम इब्राहीम अब्दुल हलीम का कहना था कि यह हत्याकांड न्यूजीलैंड के प्रति मुस्लिम समुदाय के प्रेम को डिगा नहीं पाएगा । हम अब भी इस देश से प्रेम करते हैं । चरमपंथी हमारे विश्वास को छू भी नहीं पाएंगे । न्यूजीलैंड के मुसलमान इस देश को अब भी अपना घर मानते स्थानीय लोगों ने भी मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाईचारगी की मिसाल पेश की । उन्होंने पीड़ितों की सहायता के लिए न सिर्फ फंड का इंतिज़ाम किया बल्कि उनके खाने-पीने का भी इंतिज़ाम किया । कुछ लोगों ने अपील की कि मुसलमानों को इस हमले से डरने की ज़रूरत नहीं हैहम उनके साथ हैं । हालांकि ऑस्ट्रेलिया के नेशनल इमाम काउंसिल के प्रवक्ता बिलाल रऊफ़ ने आशंका जतायी थी कि क्राइस्टचर्च जैसी घटना ऑस्ट्रेलिया में भी दोहरायी जा सकती है । इस तरह की आशंका को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में भी मस्जिदों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी और एहतियात के तौर पर बड़े कार्यक्रमों के अलावा मस्जिदों के आस-पास पुलिस तैनात कर दी गयी ।मस्जिद पर हमले के दौरान एक पाकिस्तानी नागरिक ने हमलावर को काबू में करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका ।‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार हमले में घायल नईम रशीद की इलाज के दौरान मौत हो गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रशीद को उस समय गोली लगी जब उसने मस्जिद में घुसे हमलावर को पकड़ने की कोशिश की ।दूसरी ओर न्यूजीलैंड सरकार ने एक अच्छी पहल करते हुए अपने देश में हथियार नीति में बदलाव करने का एलान किया है। प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने कहा कि उनकी सरकार सभी तरह के सेमी आटोमेटिक हथियारों और असाल्ट राइफलों पर प्रतिबंध लगाएगी । इनमें ऐसे हथियारों को भी शामिल किया जाएगा जिनको सेमी आटोमेटिक हथियारों में बदला जा सकता है। उम्मीद है कि ऐसे और भी कदम उठाए जाएंगे जिससे भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके ।