| अयोध्या विवाद : नकाम हो चुकी हैं तीन कोशिशें | क्या मध्यस्थता के जरिए किसी नतीजे तक पहुंचा जा सकेगा ?

• मुहम्मद यूसुफ ‘मुन्ना' बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद का हल अब मध्यस्थता के ज़रिये निकालने की कोशिश हो रही हैं। हालांकि इससे पहले भी आपसी बात-चीत के ज़रिए इस विवाद का हल तलाशने की कई कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट की निगरीनी मध्यस्थता हो रही है। दूसरे शब्दों कहें तो इस बार कोशिश कुछ अलग और गंभीर है । इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जमीन के मालिकाना हक से जुड़े मामले में जल्द आदेश देना चाहता है, इसलिए सभी पक्ष मध्यस्थ का नाम सुझाएं । हिन्दू महासभा शुरू से मध्यस्थता के ख़िलाफ़ रहा, जबकि निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए राजी थे। निर्मोही अखाड़ा के वकील सुनील जैन का कहना था कि हम मध्यस्थता का समर्थन करते हैं, दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ही तय करे


कि बातचीत कैसे हो? सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट चाहती है कि इस मामले का निश्चित हल' निकले और विभिन्न पक्ष मध्यस्थ या मध्यस्थ के पैनल के लिए नाम सुझाए । बेंच का कहना था कि यह केवल जमीन के मालिकाना हक का मामला नहीं है, बल्कि ये मामला दिलों से और लोगों की आस्था से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा आभास है कि ये संवेदनशील मामला है और मध्यस्थता में जो कुछ भी होगा, उसका राजनीतिक असर पड़ सकता है। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि अगर विवाद सुलझाने की एक फ़ीसदी भी संभावना है तो दोनों पक्षों को मध्यस्थता के लिए जाना चाहिए। मामले की सुनवाई कर रही इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस एस0ए0 बोबडे, डी0वाई0 चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस0ए0 नज़ीर शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई करते समय कोर्ट ने कहा था कि आज से पहले क्या हुआ, मुगल शासक बाबर ने क्या किया या फिर उसके बाद क्या हुआ, इससे कोर्ट को कोई सरोकार नहीं है।



हम इस मामले को वस्तुस्थिति के आधार पर ही देख सकते हैं । कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा कि मध्यस्थता के जरिए दशकों पुराने इस विवाद को सुलझाने के सौहार्दपूर्ण संभावनाओं की तलाश करें । इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील की गयी, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम मंदिर के बीच बराबर बांटने का फैसला दिया था । हिन्दू महासभा की ओर से वकील एस0के0 जैन ने पांच जजों की पीठ से निवेदन किया कि मध्यस्थता से पहले कोर्ट को सार्वजनिक नोटिस देना होगा । उन्होंने कहा कि यह विवाद धार्मिक है और लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, यह सिर्फ संपत्ति का विवाद नहीं है।